अभिमानी को नहीं मिलता ज्ञान - शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती
ज्ञान एक प्रवाह है जो गुरु के मुख से सत्शिष्य के हृदय में प्रवाहित होता है। विनम्र बनने पर ज्ञान सहज में उपलब्ध हो जाता है। जो अभिमानी होता है उसे ज्ञान नहीं मिल पाता है।
उक्त उद्गार परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती '१००८' ने चातुर्मास्य प्रवचन के अन्तर्गत कही।
उन्होंने कहा कि सुख और दुःख दोनों आपस में एक-दूसरे से मिले हुए हैं। इसी कारण एक के आने पर दूसरा नहीं रहता और दूसरे के आने पर पहला नहीं रहता। दोनों की जोडी बनी हुई है। यदि हमें आनन्द प्राप्त करना है तो इन दोनों से ऊपर उठना होगा।
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